चारों ओर जंग के बीच भी क्यों कुछ देश खुद को सुरक्षित मान रहे, क्या है ऑप्टिमिज्म बायस, अमीर देश जिसका शिकार?

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December 02, 2024
चारों ओर जंग के बीच भी क्यों कुछ देश खुद को सुरक्षित मान रहे, क्या है ऑप्टिमिज्म बायस, अमीर देश जिसका शिकार?


रूस-यूक्रेन से लेकर मिडिल ईस्ट में भारी लड़ाई चल रही है. यहां तक कि कई देशों के लीडर इतने आक्रामक हैं कि वे परमाणु हमले की भी धमकी दे रहे हैं. इस बीच ज्यादातर देश अपनी तैयारियां कर रहे हैं कि हालात बिगड़ जाएं तो उनके नागरिक सुरक्षित रह सकें. इसमें राशन-पानी और दवाओं का भंडार जमा करने से लेकर अंडरग्राउंड शेल्टर बनाना तक शामिल है. वहीं कई  ऐसे भी देश हैं, जिन्हें भरोसा है कि जो भी हो लेकिन परमाणु युद्ध नहीं होगा. 

मिडिल ईस्ट में इजरायल समेत लेबनान और ईरान भी लड़-भिड़ रहे हैं. हालांकि इजरायल के अलावा बाकी देश सीधे मोर्चे पर नहीं, लेकिन उनके मिलिटेंट ग्रुप ये काम कर रहे हैं. रूस और यूक्रेन की जंग तीन साल होने जा रहा है. अफ्रीकी देशों में गृह युद्ध जारी हैं. दूसरी तरफ नॉर्थ कोरिया अलग ही स्तर पर आक्रामकता दिखाता रहता है, खासकर अमेरिका के खिलाफ. कुल मिलाकर दुनिया में भारी राजनैतिक उठापटक जारी है.

इस बीच यूरोप अपनी तैयारी कर रहा है. जर्मन डिफेंस मिनिस्टर बोरिस पिस्टोरियस ने अपने लोगों को चेताया कि रूस की वजह से तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. बता दें कि रूसी लीडर व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को लगातार न्यूक्लियर अटैक की धमकी दे रहे हैं. ये धमकियां तब और बढ़ गईं, जब अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने यूक्रेन को अपनी लॉन्ग-रेंज मिसाइल इस्तेमाल करने का अधिकार दे दिया. रूस और अमेरिका की दुश्मनी काफी पुरानी है. लिहाजा यूक्रेन को अमेरिकी मदद ने पुतिन का गुस्सा और बढ़ा दिया. 

सितंबर में पुतिन ने चेतावनी दी थी कि अगर वेस्ट ने यूक्रेन को इस तरह की सहायता दी तो रूस मान लेगा कि नाटो देश उससे युद्ध चाहते हैं. इसके बाद ही जर्मन डिफेंस मिनिस्टर पिस्टोरियस ने अपने नागरिकों को चेतावनी दी कि रूस यूरोप के लिए खतरा हो सकता है. इसलिए ही उन्हें जल्द से जल्द अपनी तैयारियां कर लेनी चाहिए. 

नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड ने सिविल प्रिपेयर्डनेस गाइडलाइन बना ली है. इसमें जख्मी होने पर हल्के-फुल्के इलाज, खून रोकने की टेक्नीक के साथ ये भी बताया जा रहा है कि घबराहट पर कैसे काबू रखें. राशन, पानी, दवा और सैनिटरी पैड्स का भी स्टॉक रखने की बात हो रही है.  

एक तरफ बहुत से देश परेशान हैं, वहीं कई देश ऐसे भी हैं, जिन्हें इस बात का कतई डर नहीं. वे मानकर चल रहे हैं कि युद्ध इतना आगे नहीं जाएगा. द कनवर्सेशन की रिपोर्ट के अनुसार यूके और यूएस जैसे देश आकस्मिक के लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं. मनोविज्ञान की भाषा में ये ऑप्टिमिज्म बायस है. यह वो टेंडेंसी है, जिसमें अच्छी चीजों और घटनाओं को हम ओवरएस्टिमेट करने लगते हैं. आसान भाषा में कहें तो जरूरत से ज्यादा ही पॉजिटिव रहते हैं. सेल.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, 80 फीसदी से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह से ऑप्टिमिज्म बायस का शिकार रहते हैं. ये स्टडी यूएस और यूके पर आधारित है. 

what is optimism bias in psychology amid fear of third world war photo - APTOPIX

क्या होता है इसमें 

ऑप्टिमिज्म बायस के शिकार लोग मानते हैं कि भले ही दुनिया में सब खराब हो रहा हो, लेकिन उनके साथ सब अच्छा ही होगा. जैसे, ग्लोबल वार्मिंग हो तो रही है लेकिन वे इससे बचे रहेंगे. या कोई हादसा हुआ तो वे सुरक्षित रहेंगे. पश्चिमी देशों के लोग खासकर इस बायस का शिकार हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की स्टडी में पाया गया कि यूएस, यूके और कनाडा के लोगों में हकीकत से दूर भागने की हद तक आशावाद होता है. जबकि एशियाई देशों में लोग ज्यादा प्रैक्टिकल रहते हैं. 

क्या खतरा है इससे

ऑप्टिमिज्म बायस की वजह से रिस्क को एसेस करने की  क्षमता कम हो जाती है. मसलन, किसी कुदरती आपदा या आतंकी अटैक के लिए लोग तैयार नहीं होते हैं. इसपर कई अध्ययन हो चुके. पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी बुलेटिन में छपी एक रिपोर्ट में पाया गया कि खतरा भांपने के मामले में चीन के लोग अमेरिकियों से ज्यादा आगे हैं. वहीं अमेरिकी लोगों में ऑप्टिमिज्म बायस जरूरत से ज्यादा है. आर अमेरिकन्स मोर ऑप्टिमिस्टिक दैन चाइनीज रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया गया. दूसरी तरफ जापान और रूस के लोग ज्यादा प्रैक्टिकल हैं, जो खतरे की पहले से तैयारी करने पर यकीन रखते हैं. 

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कैसे काम करता है ऑप्टिमिज्म बायस

इसमें लोग निगेटिव इमेज या निगेटिन न्यूज को टालते हैं ताकि उन्हें कोई बेचैनी न हो. अगर बुरी खबर सिर पर आ ही जाए तो उनका ब्रेन अलग तरह से काम करता है. इसे लेकर लोगों की फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (FMRI) भी कराई गई, जिसमें दिखा कि ऐसे लोगों का ब्रेन बुरी खबरों को भी अलग तरीके से प्रोसेस करता है. इस दौरान दिमाग के फ्रंटल कॉर्टेक्स में न्यूरल कोडिंग का स्तर कम हो जाता है, जिससे सूचना उस गंभीरता से नहीं पहुंच पाती, जितनी वो असल में है. 

कौन से देश मानते हैं कि युद्ध होगा? 

दिसंबर 2022 इंटरनेशनल फर्म Ipsos ने एक सर्वे कराया, जिसमें शामिल 34 देशों के ज्यादातर लोगों ने माना कि जल्द ही तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है. लड़ाई छिड़ जाए तो वैसे तो शायद ही कोई मुल्क इसके असर से बचा रहे लेकिन कुछ जगहों पर असर काफी कम हो सकता है.

ग्लोबल पीस इंडेक्स की मानें तो आइसलैंड वो देश है, जिसपर तीसरे विश्व युद्ध का असर शायद सबसे कम हो. यूरोप के उत्तर से दूर अटलांटिक महासागर में स्थित ये देश भौगोलिक तरीके से सेफ है. इस तक आसानी से पहुंचा नहीं सकता, लिहाजा जल्दी खून-खराबे का डर नहीं है. वैसे भी ये देश ग्लोबल राजनैतिक उठापटक से अलग ही रहता है. तो कोई इसपर आक्रामक हो, इसका डर कम है. न्यूजीलैंड और कनाडा भी भौगोलिक स्थिति के कारण बचे रह सकते हैं.