Internal Conflict – TheNewsHub https://thenewshub.in Fri, 27 Sep 2024 22:39:03 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.6.2 लेबनान: हिज्बुल्लाह के मुख्यालय पर इजरायल ने बरसाईं मिसाइलें, हमले में मारा गया कार्यकारी परिषद का प्रमुख https://thenewshub.in/2024/09/27/%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b9-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%81/ https://thenewshub.in/2024/09/27/%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b9-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%81/?noamp=mobile#respond Fri, 27 Sep 2024 22:39:03 +0000 https://thenewshub.in/2024/09/27/%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%ac%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a5%8d%e0%a4%ac%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b9-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%81/

इजरायल दक्षिणी लेबनान पर ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक कर रहा है. इजरायल लेबनान के उन रिहायशी इलाकों को भी निशाना बना रहा है, जहां हिज्बुल्लाह के आतंकियों ने हथियार छिपा कर रखे हैं. इजरायली आर्मी हिज्बुल्लाह के आतंकी ठिकानों पर चुन-चुनकर बम बरसा रही है, जिसमें उसके कमांडर मिट्टी में मिलते जा रहे हैं. 9 दिन से जारी जंग में इजरायली हमले में लेबनान के अब तक 700 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2600 लोग घायल बताए जा रहे हैं. शुक्रवार के हमले में भी 25 लोगों की जान चली गई. इसमें हिज्बुल्लाह के कार्यकारी परिषद के प्रमुख हाशेम सफीद्दीन की भी मौत हो गई. इससे पहले गुरुवार को हमलों में इजरायल ने हिज्बुल्लाह की ड्रोन यूनिट के कमांडर मोहम्मद सरूर को ढेर कर दिया था.

इस बीच शुक्रवार देर शाम (भारतीय समयानुसार) इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में एक के बाद एक कई एयरस्ट्राइक कीं. ये हमला यूएनजीसी में नेतन्याहू के भाषण के बाद हुआ है. इसे इजरायल का लेबनान में सबसे भीषण हमला माना जा रहा है. इसके चलते आसमान में धुएं के गुबार छा गए. इजरायल ने बेरूत स्थित हिज्बुल्लाह के मुख्यालय पर भी हमला किया. ये मुख्यालय एक रियाशी इमारत के नीचे था. बताया जा रहा है कि इसमें हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह ने बंकर बनाया हुआ था. पहले बताया गया था कि बंकर में नरसल्लाह हो सकता है. हालांकि सूत्रों की मानें तो हिज्बुल्लाह की तरफ से इसका खंडन कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि हमले से पहले इजरायल ने अमेरिका को भी इसकी जानकारी दी थी. इन हमलों में 6 इमारते पूरी तरह तबाह हो गईं. इस हमले में 2 की मौत हुई है जबकि 70 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं. 

इस हमले के बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू ने अमेरिका यात्रा को छोटा कर दिया है और वे तुरंत इजरायल लौट रहे हैं. हमलों को लेकर इजरायली सेना ने बयान भी जारी किया. शुक्रवार को सेना ने कहा कि उसने दक्षिणी बेरूत के दहिएह उपनगर में हिज्बुल्लाह के केंद्रीय मुख्यालय को निशाना बनाकर हमला किया, जिससे लेबनान की राजधानी हिल गई और शहर के ऊपर धुएं के घने गुबार छा गए. फिलहाल यह जानकारी सामने नहीं आई है कि हमलों में कितने लोगों की मौत हुई है. लेकिन स्थानीय मीडिया का कहना है कि हमलों के बाद इलाके में दहशत का माहौल है और आम नागरिक सुरक्षित जगहों की तरफ पलायन कर रहे हैं.

पीएम नेतन्याहू ने UNGA में हिज्बुल्लाह को दी चेतावनी

इधर, जंग के बीच न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने लेबनान और हिज्बुल्लाह के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली. इतना ही नहीं UNGA के मंच से नेतन्याहू ने ईरान को भी खुलेआम धमकी दी, जिसके विरोध में कई देशों के प्रतिनिधियों ने सदन से वॉकआउट कर दिया. नेतन्याहू ने कहा कि ईरान में कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां इजरायल नहीं पहुंच सकता. उन्होंने हिज्बुल्लाह को समर्थन देने वाले ईरान को लेकर कहा कि इजरायल तब तक नहीं थमेगा, जब तक उनके देश के बंधक नागरिक सुरक्षित घर नहीं लौट आते.

इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि हम गाजा में हमास से तब तक लड़ेंगे जब तक हमें पूरी तरह जीत नहीं मिल जाती. इजरायल भी शांति का पक्षधर है. लेकिन अगर उनके देश पर हमला होगा तो वो किसी को नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि भले ही हिज्बुल्लाह की पकड़ सभी महाद्वीपों में है, लेकिन वो हिज्बुल्लाह और उसके चीफ हसन नसरल्लाह के खात्मे तक जंग जारी रखेंगे. इस साल जंग की वजह से उनका संयुक्त राष्ट्र महासभा में आने का कोई इरादा नहीं था. लेकिन वो लेबनान, ईरान और हिज्बुल्लाह को एक्सपोज करने के लिए यहां पहुंचे हैं.

जल्द जमीनी जंग को भी अंजाम दे सकता है इजरायल!

बता दें कि इजरायल ने सैकड़ों टैंक और आर्मर्ड व्हीकल्स को लेबनानी सीमा के पास तैनात कर दिया है. डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि इजरायल बहुत जल्द किसी भी समय लेबनान पर हमला कर सकता है. यानी जमीनी जंग की शुरूआत हो सकती है. इजरायल के उत्तर में लेबनान का दक्षिणी हिस्सा मौजूद है. ये हमले कब और किस समय होंगे, इसका खुलासा फिलहाल नहीं हुआ है. लेकिन होंगे बहुत जल्द. 

हिज्बुल्लाह के लड़ाके सबसे ज्यादा हमले अपने इसी गढ़ से करते हैं. लेबनान में हाल ही में इजरायल ने कोवर्ट ऑपरेशन करके दुनिया को हैरान कर दिया था. ये कोवर्ट ऑपरेशन पेजर और वॉकी-टॉकी के धमाके थे. इजरायली रक्षामंत्री योआव गैलेंट ने भी इस बात का खुलासा कर दिया है कि उनका देश संभावित ग्राउंड अटैक के लिए तैयार है. इसका मतलब ये है कि इजरायल किसी भी समय जमीनी जंग की शुरूआत कर सकता है. गाजा पट्टी में जिस तरह घुसकर हमास को खत्म किया. ठीक उसी तरह लेबनान में घुसकर हिज्बुल्लाह का खात्मा कर सकता है.

इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के अनुसार, इस लड़ाई ने लेबनान में 200,000 से ज़्यादा लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर कर दिया है. इजरायल अधिकारियों ने सख्त चेतावनी जारी की है, जिसमें धमकी दी गई है कि अगर हिज्बुल्लाह ने अपने हमले जारी रखे तो वे लेबनान में भी गाजा जैसी तबाही मचा देंगे. इन बयानों ने इस आशंका को और बढ़ावा मिला है कि गाजा में देखी गई तबाही लेबनान में भी दोहराई जा सकती है, जिससे संघर्ष और भी बढ़ सकता है.

फाइल फोटो

पेजर धमाकों के बाद अब इजरायल ने लेबनान में मचाई तबाही

पहले गाजा और अब बेरूत. इजरायल ने लेबनान पर बमों की बारिश कर दी है. बेरूत समेत तमाम लेबनानी शहरों में इजरायल तीन चार दिन से हमले कर रहा है. पेजर हमलों के बाद ये नई तबाही लेबनान पर भारी पड़ रही है. इजरायली हमलों के बाद लेबनान जाने वाली लगभग सारी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं. इजरायली हमले और हिजबुल्लाह की जवाबी कार्रवाई के बीच कोई भी एयरलाइंस कंपनी बेरूत जाने का जोखिम नहीं उठा रही है.

कभी मिडिल ईस्ट का स्विट्जरलैंड और पेरिस था लेबनान

लेबनान हमेशा से ऐसा नहीं था और कभी इसे मिडिल ईस्ट का स्विट्जरलैंड और पेरिस कहा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे यह इस्लामी कट्टरपंथ और आतंकवाद का गढ़ बन गया. यही वजह है कि लेबनान की राजधानी बेरूत इजरायली बम बारूद से तबाही झेल रही है. आज यहां खूंखार आतंकी संगठन हिजबुल्लाह का गढ़ है. लेकिन आज से 19 साल पहले भी इसकी तस्वीर ऐसी नहीं थी. बेरूत मॉडर्न, आजाद ख्याल और कट्टरवाद से बहुत दूर था.इसकी राजधानी बेरूत दुनिया के सबसे अमीर पर्यटकों का दिल खोलकर स्वागत करती थी. लेबनान में स्विमसूट, समुद्र तट, चहल-पहल भरी सड़कें और आज़ादी से घूमने वाले लोग थे.

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Power struggles in climate ministry https://thenewshub.in/2024/09/11/power-struggles-in-climate-ministry/ https://thenewshub.in/2024/09/11/power-struggles-in-climate-ministry/?noamp=mobile#respond Wed, 11 Sep 2024 16:32:41 +0000 https://thenewshub.in/2024/09/11/power-struggles-in-climate-ministry/


ISLAMABAD:

The Ministry of Climate Change has become the centre of internal conflict over efforts to reinstate a senior official, Mujtaba Hussain, who was previously removed over corruption allegations. The power struggle within the ministry is reportedly driven by top political figures pushing for his return, despite ongoing investigations.

Sources told The Express Tribune that a former climate ministry secretary was recently removed after refusing to interview Hussain, who was being considered for a key position in the climate authority. Hussain had previously served as an additional secretary in the climate ministry but was dismissed after being accused of illegal gains from donors and development projects.

An inquiry had been launched into Hussain’s conduct, with the establishment secretary informed by the former climate secretary that Hussain, due to his long tenure, had developed personal interests within the ministry. He was accused of using his position for personal gain, seeking favours from those conducting official business, and interacting with donor agencies through his personal email without proper approval.

The investigation into Hussain’s conduct is ongoing, with the outcome to be reported to the Establishment Division. The inquiry also revealed that Hussain had fostered divisions within the ministry and discouraged officials from cooperating with the secretary, disrupting the ministry’s performance.

Recently, a new controversy arose when Hussain attended an interview for a member position on the climate authority without the necessary permission from the relevant ministry. His lack of a No Objection Certificate (NOC) led to his disqualification from the shortlist. Sources claim that political leaders had pressured the former climate secretary, Ezaz Dar, to allow Hussain to participate in the interview. However, when Dar asked about the NOC, Hussain did not have one, and his application was rejected.

The climate ministry has been accused of becoming a hotbed of corruption due to the involvement of NGOs, and the former secretary had reportedly requested to be relieved from his duties. Documents reveal that the new climate secretary has initiated efforts to remove Senior Joint Secretary Hassan Raza and Additional Secretary Syed Iftikhar, allegedly without valid charges. This move is seen as an attempt to clear the way for Hussain’s return.

In a surprising move, despite the presence of Additional Secretary Syed Iftikhar, the charge for his position was handed over to Senior Joint Secretary Muhammad Farooq on a temporary basis.

Documents obtained by The Express Tribune show that the former climate secretary had previously written to the Establishment Division, warning about Hussain’s conduct. The letter detailed Hussain’s refusal to hand over official records after his dismissal and his unauthorised attendance at international meetings without securing proper approval.

Hussain has been accused of creating misunderstandings between ministers and secretaries, frequently violating government protocols, and delaying compliance with orders from the ministry. Due to these actions, the Establishment Division was asked to permanently transfer Hussain from the Ministry of Climate Change and prevent him from being posted in any department that interacts with donor agencies.

When contacted, Hussain, who is currently serving in the Ministry of Water Resources, denied the allegations and claimed they were the result of professional jealousy. He added that his desire to work in the climate ministry stemmed from his academic background in environmental studies, which he believed made him well-suited for the role.

Despite denying the charges of illegal gains from donors and development projects, Hussain admitted to having dealt with donors during his time in the Economic Affairs Division without facing similar allegations. Attempts to reach the current climate ministry secretary for comment went unanswered.

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