संगम, रसूलाबाद और दशाश्वमेध… महाकुंभ जाने से पहले जानिए प्रयागराज में कहां-कहां हैं स्नान घाट

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January 09, 2025
संगम, रसूलाबाद और दशाश्वमेध… महाकुंभ जाने से पहले जानिए प्रयागराज में कहां-कहां हैं स्नान घाट


महाकुंभ-2025 के आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. आने वाली पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी से महाकुंभ की आधिकारिक शुरुआत हो जाएगी. हालांकि कल्पवास के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु पहले से ही कुंभ क्षेत्र पहुंच रहे हैं. इसके अलावा भी संगम तट पर स्नान आदि की परंपरा जारी है. इस बीच अगर आप भी संगम में स्नान के लिए जा रहे हैं तो यहां के मौजूद घाटों के बारे में जान लीजिए कि वे कहां हैं और उनका क्या महत्व है.

गंगा नदी के घाट
संगम या त्रिवेणी घाट:
गंगा-यमुना और सरस्वती का जिस स्थान पर संगम होता है, वहीं पर बना है संगम घाट. तीन नदियों का संगम स्थल होने के कारण इसे त्रिवेणी घाट भी कहते हैं. हालांकि इस स्थान पर सिर्फ गंगा-यमुना का ही संगम होता दिखता है, सरस्वती विलुप्त हैं, लेकिन माना जाता है कि इस स्थान पर अदृश्य रूप से सरस्वती गंगा और यमुना के साथ मिलती हैं. धार्मिक महत्व होने के कारण पूरे साल यहां स्नान-दान आदि के लिए लोगों की भीड़ जुटती है. 

दशाश्वमेध घाट: वाराणसी ही नहीं, प्रयागराज में भी गंगा तट पर दशाश्वमेध घाट स्थित है. यह दारागंज मुहल्ले के सामने गंगा किनारे बना हुआ है. मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने इस क्षेत्र में दस अश्वमेध यज्ञ किए थे और दशाश्वमेश्वर शिव की स्थापना भी की थी. सावन के महीने में इस घाट की बड़ी मान्यता है. शिव भक्त यहां से गंगा जल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक भी करते हैं. 

रसूलाबाद घाट : यह घाट शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित रसूलाबाद मुहल्ले में गंगा तट पर है. हमेशा आजाद रहने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का अंतिम संस्कार इसी घाट पर किया गया था, इसलिए इसका महत्व भारतीय इतिहास के कारण भी बढ़ जाता है. यहां पर पक्का घाट बनाया गया है. जहां पर वर्ष भर लोग आकर स्नान-दान और ध्यान करते हैं. इस घाट का नाम अभी हाल ही में चंद्रशेखर आजाद घाट कर दिया गया है.

शंकर घाट : रसूलाबाद घाट से थोड़ा ही आगे बढ़ें तो यहां पास में ही, तेलियरगंज मुहल्ले में गंगा तट पर शंकर घाट है. यहां प्रसिद्ध नागेश्वर महादेव मंदिर बना हुआ है, जिसकी प्रति श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है. यहां घाट पर गंगा पार के ग्रामीण भी स्नान करने पहुंचते हैं. 

द्रौपदी घाट : यह घाट कैंट थाना क्षेत्र में मौजूद है. यहां से गंगा नदी की तेज लहरों को देखना रोमांचक होता है. यह पर प्रयाग स्थित 12 माधवों में से एक बिंदु माधव भी  स्थित हैं. वैष्णव साधुओं के लिए यह घाट प्रमुख स्थल है और वह इसके किनारे कीर्तन-भजन के लिए जुटते हैं.

रामघाट : भगवान राम के नाम पर प्रसिद्ध यह घाट संगम क्षेत्र में गंगा पर स्थित है. त्रिवेणी क्षेत्र स्थित काली सड़क से यहां सीधे पहुंचा जा सकता है. यह पर हर रोज स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. 

दारागंज श्मसान घाट : शहर को वाराणसी से जोड़ने वाले पूर्वोत्तर रेलवे के पुल और शास्त्री पुल के बीच यह घाट स्थित है. यह घाट अंतिम संस्कार के लिए प्रयोग में होता है. स्नान-ध्यान करने वाले लोगों और दर्शन-पूजन के लिए आए श्रद्धालुओं के यहां जाने पर मनाही है. यहां दैनिक स्नान आदि जैसी परंपराएं नहीं होती हैं. हालांकि अंतिम संस्कार करने वाले लोग यहां स्नान, शुद्धि और शांति पूजा जैसे रिवाज संपन्न कराते हुए देखे जा सकते हैं

शिवकोटि घाट : तेलियरगंज के पास ही शिवकुटी मुहल्ले में गंगा तट पर शिवकोटि घाट है. इसके समीप में ही नारायण आश्रम घाट, सीताराम धाम व कोटेश्वर महादेव घाट भी हैं जहां पर त्योहारों के पावन मौकों पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु जुटते हैं. 

यमुना नदी के प्रमुख घाट
बलुआ घाट :
पुराने शहर में यमुना नदी के तट पर यह घाट स्थित है. यहीं पर इस्कॉन मंदिर भी हाल के वर्षों में बनाया गया है.सबसे खास बात ये है कि यहां पर नदी तक जाने के लिए पक्की सीढिय़ां बनी हैं और घाट के ऊपर की ही ओर यमुना जी का मंदिर भी बना है. कार्तिक मास में यहां पर मेला भी लगता है. 

संगम

गऊघाट : दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर बने रेलवे पुल के करीब यमुना तट पर गऊघाट मौजूद है. यहां वर्ष भर स्थानीय लोग स्नान के लिए जाते हैं. समीप में ही बोट क्लब है जहां लोग नौका विहार करते हैं. यहीं त्रिवेणी महोत्सव का आयोजन भी होता है.

अरैल घाट: नैनी क्षेत्र में स्थित अरैल घाट यमुना नदी के किनारे बना हुआ है, यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांति के लिए जाना जाता है. इसी के पास सोमेश्वर महादेव मंदिर भी है. इस मंदिर की स्थानीय लोगों के बीच बहुत मान्यता है और सावन के अलावा शिवरात्रि के मौके पर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं.

सरस्वती घाट : अकबर के किले के करीब यमुना नदी के तट पर यह घाट स्थित है. समीप ही एक सुंदर पार्क भी बना हुआ है. यहां पर लोग स्नान के अलावा नौकायन के लिए भी जाते हैं. यहां से संगम जाने के लिए हर समय नाव मिलती हैं. मनकामेश्वर महादेव का मंदिर भी इसी घाट के पास ही मौजूद है.

किला घाटः अकबर के किले के ही पास किला घाट मौजूद है. किला घाट प्रयागराज के प्रमुख स्नान घाटों में से एक है. हालांकि बहुत ही कम लोगों को इस घाट के बारे में पता है. इसी वजह से यहां पर कभी भी ज्यादा भीड़ देखने को नहीं मिलती है.