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खत्म हुआ सदियों पुराना विवाद, मॉरीशस को 'चागोस' आइसलैंड सौंपेगा ब्रिटेन, जानिए भारत ने क्या कहा

खत्म हुआ सदियों पुराना विवाद, मॉरीशस को 'चागोस' आइसलैंड सौंपेगा ब्रिटेन, जानिए भारत ने क्या कहा


ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच विवाद की वजह रहे ‘चागोस द्वीप समूह’ पर फैसला हो चुका है. चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने के लिए ब्रिटेन तैयार हो गया है. इस पर भारत सरकार ने गुरुवार को कहा कि चागोस द्वीपसमूह पर मॉरीशस की संप्रभुता की वापसी पर समझौता ‘मॉरीशस के विउपनिवेशीकरण को पूरा करता है.’ सरकार ने यूनाइटेड किंगडम और मॉरीशस के बीच समझौते के लिए मजबूत समर्थन जताया. विदेश मंत्रालय ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुपालन में दो साल की बातचीत के बाद लंबे वक्त से चले आ रहे चागोस विवाद का हल स्वागत योग्य है.”

सरकार ने उपनिवेशवाद के खत्म होने और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान पर अपने रुख को दोहराया. इसके साथ ही मॉरीशस के साथ अपनी साझेदारी पर जोर दिया. 

2022 से समझौते पर चल रही बातचीत

यूके और मॉरीशस ने हाल ही में एक ‘ऐतिहासिक’ का ऐलान किया है, जिसके तहत ‘चागोस आइसलैंड’ पर मॉरीशस को संप्रभुता ट्रांसफर की जाएगी. जबकि डिएगो गार्सिया पर यूके-यूएस का ज्वाइंट मिलिट्री बेस बना रहेगा, जो करीब अगले 99 साल तक चालू रहेगा. इस समझौते पर 2022 से बातचीत चल रही है. इस समझौते से दशकों पुराना क्षेत्रीय विवाद सुलझ रहा है और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मिलिट्री बेस के भविष्य को सुरक्षित करता है.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस समझौते को कूटनीतिक सफलता बताया, जो हिंद महासागर क्षेत्र में निरंतर स्थिरता सुनिश्चित करता है.

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राष्ट्र प्रमुखों ने क्या कहा?

डाउनिंग स्ट्रीट के एक बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री ने डिएगो गार्सिया पर यूके-यूएस मिलिट्री बेस की सुरक्षा के महत्व को दोहराया, जो राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा को रेखांकित करता है.”

मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ भी इस समझौते को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा, “आज हमारे उपनिवेशवाद से मुक्ति का दिन पूरा हो गया है, जो मॉरीशस के लोगों के लिए लंबे वक्त से इंतजार किया जाने वाला पल था.”

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने समझौते की सराहना की, अगली सदी के लिए वैश्विक सुरक्षा में डिएगो गार्सिया की भूमिका को सुरक्षित करने में इसके महत्व पर जोर दिया. क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और अफ्रीका में संकटों का जवाब देने में मिलिट्री बेस अहम रहा है.

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हालांकि, इस समझौते का अंतरराष्ट्रीय समुदाय सहित कई लोगों ने स्वागत किया है, लेकिन विस्थापित चागोस द्वीपवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ समूहों ने वार्ता से बाहर रखे जाने पर नाराजगी जताई है. यूके और मॉरीशस में चागोसियन प्रवासी लंबे वक्त से मिलिट्री बेस के लिए रास्ता बनाने के लिए 1970 के दशक में अपने जबरन विस्थापन के बाद पुनर्वास अधिकारों की मांग कर रहे हैं.

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