लेबनान में इजरायली हमलों के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई शुक्रवार को अलग अंदाज में नजर आए. उन्होंने अपने बगल में राइफल रखकर एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया. लगभग पांच वर्षों बाद उन्होंने अपना पहला शुक्रवार की नमाज का उपदेश दिया. उनका भाषण ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए नवीनतम मिसाइल हमले के बाद आया, जिसे उन्होंने इजरायली अपराधों के लिए “वैध दंड” बताया.
खामनेई ने तेहरान की ग्रैंड मस्जिद से आयतुल्ला खामनेई ने एक तरफ अरब देशों के मुस्लिमों को जुड़ने की अपील की तो फिलीस्तीन और लेबनान पर जिस तरह से इजरायल अटैक कर रहा है, उसके इजरायल को खुली धमकी दी. उन्होंने कहा कि ईरान इनके साथ पूरी ताकत से खड़ा होगा. अपने संबोधन में, खामेनेई ने इस बात पर जोर दिया कि इज़रायल के खिलाफ ईरान का प्रतिरोध कम नहीं होगा, यहां तक कि उसके नेताओं की लक्षित हत्याओं के बावजूद भी. उन्होंने घोषणा की यदि जरूरी हुआ, तो ईरान कब्जे वाले फिलिस्तीन पर फिर से हमला करेगा. इसी के साथ उन्होंने क्षेत्र में निरंतर कठोर रुख का संकेत दिया.
खामेनेई अपने राजनीतिक जीवन में कई हत्या के प्रयासों से बचे हैं. विशेष रूप से 1979 से इस्लामी क्रांति के बाद के अशांत वर्षों के दौरान उन पर कई हमले किए गए. लेकिन वह हर हमले को मात देकर आज ईरान के सर्वोच्च नेता के पद पर बैठे हैं. हाल ही में लेबनान पर हुए हमलों में नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान ने खामेनेई को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया गया. ईरान को आशंका थी कि इजरायल खामेनेई पर भी हमला कर सकता है.
खामेनेई ने कब-कब मौत को दी मात-
15 मार्च 1985: शुक्रवार की नमाज के दौरान आत्मघाती बम विस्फोट
15 मार्च 1985 में तेहरान में एक आत्मघाती हमलावर ने शुक्रवार की नमाज के दौरान प्रार्थना सभा को निशाना बनाया. इस दौरान खामेनेई धर्मोपदेश दे रहे थे. हालांकि विस्फोट के बावजूद खामेनेई घायल नहीं हुए और विद्रोह के एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन में उन्होंने अपना भाषण जारी रखा. यह हमला ईरानी राजनीति में उथल-पुथल भरे दौर के दौरान विपक्षी समूहों से जुड़ा था.
देखें, 1985 के हमले का सरकारी फुटेज (क्रेडिट: KHAMENEI.IR) –
यह विशेष हमला इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह ईरान-इराक युद्ध के दौरान हुआ था. यह ऐसा समय था जब ईरान भारी आंतरिक और बाहरी दबाव में था. मुजाहिदीन-ए-खल्क (MEK) सहित विभिन्न समूह शासन को अस्थिर करने के लिए इस तरह के हिंसक प्रयासों को संगठित करने के लिए जाने जाते थे.
27 जून 1981: तेहरान में इस्लामिक रिपब्लिक पापर्टी मुख्यालय पर बम विस्फोट
दूसरा हमला 27 जून 1981 में तेहरान में सबसे महत्वपूर्ण हत्या का प्रयास तब हुआ जब वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक के दौरान इस्लामिक रिपब्लिक पार्टी के मुख्यालय में बम विस्फोट हुआ था. इस हमले की साजिश मुजाहिदीन-ए-खल्क (MEK) ने रची थी, जो एक शासन-विरोधी समूह है.
हालांकि इसमें भी खामेनेई की मौत नहीं हुई, लेकिन वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे. विस्फोट के कारण उनका दाहिना हाथ हमेशा के लिए लकवाग्रस्त हो गया. इस हमले में ईरान के मुख्य न्यायाधीश और क्रांति के प्रमुख व्यक्तियों में से एक अयातुल्ला मोहम्मद बेहेश्टी सहित कई वरिष्ठ नेता मारे गए थे.
यह हमला नवगठित इस्लामी गणराज्य को अस्थिर करने के लिए विपक्षी समूहों द्वारा चलाए जा रहे एक बड़े अभियान का हिस्सा था. गंभीर चोटों के बावजूद खामेनेई के जीवित रहने से उनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई और उन्हें शासन के भीतर अधिक प्रमुखता प्राप्त करने में मदद मिली.
देखें, 1981 में खामेनेई की हत्या के प्रयास का वीडियो (क्रेडिट: KHAMENEI.IR)-
फरवरी 2022: तेहरान में आवास के पास ड्रोन से हत्या का कथित प्रयास
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, 2022 की शुरुआत में खामेनेई पर तेहरान में उनके आवास के पास ही कथित तौर पर ड्रोन से हत्या का प्रयास किया गया था. इस घटना के बारे में जानकारी कम है और ईरानी अधिकारियों द्वारा इसकी व्यापक रूप से पुष्टि नहीं की गई है. हालांकि, इसने क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच ईरानी नेतृत्व के लिए बढ़ते बाहरी खतरों के बारे में चर्चाएं छेड़ दीं. चाहे सच हो या झूठ, इन रिपोर्टों ने संकेत दिया कि सर्वोच्च नेता विभिन्न घरेलू और विदेशी विरोधियों के लिए एक हाई-प्रोफाइल टारगेट बने हुए हैं.
कई अन्य अपुष्ट हत्या के प्रयास
उक्त हमलों के अलावा खामेनेई पर हत्या के प्रयासों की कई अन्य रिपोर्टें भी आई हैं. विशेष रूप से क्रांति के बाद के वर्षों के दौरान जब MEK और अन्य असंतुष्टों जैसे शासन-विरोधी समूहों ने सक्रिय रूप से सरकारी नेताओं को निशाना बनाया. हालांकि, इनमें से कई प्रयासों को विफल कर दिया गया और इनकी जानकारी अभी भी कहीं उपलब्ध नहीं है. ईरानी सरकार अपने नेताओं के लिए खतरों के बारे में अधिकांश जानकारी को नियंत्रित करती है.
हमलों के बाद बढ़ा दी गई खामेनेई की सुरक्षा
इस्लामी गणराज्य के शुरुआती वर्षों में मुजाहिदीन-ए-खल्क (MEK), कुर्द अलगाववादियों और अन्य शासन-विरोधी गुटों जैसे विपक्षी समूहों ने खामेनेई जैसे प्रमुख व्यक्तियों को सक्रिय रूप से निशाना बनाया. 1989 में जब खामेनेई ईरान के सर्वोच्च नेता बने तो उनके खिलाफ हत्या के प्रयास और धमकियां जारी रहीं. बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने उन्हें न केवल आंतरिक गुटों के लिए बल्कि ईरान की नीतियों के प्रति शत्रुतापूर्ण बाहरी अभिनेताओं के लिए भी निशाना बनाया.
इन प्रयासों के बाद से खामेनेई के आसपास सुरक्षा को काफी कड़ा कर दिया गया है. सर्वोच्च नेता के रूप में वह अब ईरान में सबसे अधिक संरक्षित व्यक्तियों में से एक हैं, जिनके पास सुरक्षा की कई परतें हैं, जिनमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) जैसे कुलीन सैन्य बल शामिल हैं, जिन्हें उनकी सुरक्षा का काम सौंपा गया है.